इस लेख में बाल-विकास एवं शिक्षा-शास्त्र के नोट्स के बारे में जानेगें। केन्द्रीय एवं राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षाओं (CTET and STET) में बाल-विकास एवं शिक्षा-शास्त्र (CDP) एक सबसे महत्वपूर्ण विषय है। इसीलिए हम इस लेख में बाल-विकास एवं शिक्षा-शास्त्र के सबसे महत्वपूर्ण नोट्स लेकर आये हैं। अगर आप इस लेख को दो से तीन बार पढ़ लेते हैं तो आपके न्यूनतम 10 अंक पक्के हो जायेंगे। यह नोट्स विगत वर्षों में विभिन्न केन्द्र एवं राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों के आधार पर तैयार किये गये हैं। इसीलिए अगर आप किसी शिक्षक भर्ती (Teacher Exam) की तैयारी कर रहें हैं तो इस लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़े।भविष्य के लिए शुभकामनाएँ!
बाल-विकास एवं शिक्षा-शास्त्र के नोट्स
- विशलेषणात्मक विधि है – अज्ञात से ज्ञात की ओर
- संशलेषणात्मक विधि है – ज्ञात से अज्ञात की ओर
- परिवार एक साधन है – अनौपचारिक शिक्षा का
- अल्पवयस्क बच्चों के अधिगम प्रक्रम में अभिभावकों की भूमिका होनी चाहिए – अग्र सक्रिय
- पठन-पाठन के किस चरण पर अध्यापक को सबसे अधिक समय देना चाहिए – प्रस्तुतिकरण
- कार्ल सी गैरीसन ने किस विधि का अध्ययन किया था – लम्बात्मक विधि
- किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार सभी बालक जन्म से समान होते हैं – वाटसन
- मनोविश्लेषण के प्रवर्तक – फ्रायड
- मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान नहीं मानते – वाटसन
- कक्षाओं में शिक्षण की खेल विधि आधारित है – विकास एवं वृद्धि के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर
- शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है – विकास
- विशेष रूप से जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा का प्रबंध होना चाहिए -विशेष विद्यालय में
- महात्मा गांधी ने प्रतिपादन किया – बेसिक शिक्षा का
- बच्चों के बौद्धिक विकास के चार सुस्पष्ट स्तरों को पहचाना गया था – जीन पियाजे द्वारा
- बहस तक जिसमें बच्चा किसी वस्तु एवं घटना के बारे में तार्किक रूप से सोचना शुरु करता है कहां जाता है – मूर्त क्रियात्मक अवस्था
- शिक्षा का अर्थ है – ज्ञान
- प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाना बेहतर होता है क्योंकि – यह बौद्धिक विकास में सहायक है
- अच्छा ही राष्ट्रीय एकता का आधार है – जवाहरलाल नेहरू
- प्लेटो के अनुसार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य हैं – व्यक्तित्व विकास
- विकास कभी ना समाप्त होने वाली प्रक्रिया है यह विचार संबंधित है – निरंतरता का सिद्धांत
- रॉस के अनुसार शिक्षा है – द्विमुखी प्रक्रिया
- ‘शिक्षा उस व्यक्ति की उस पूर्णता का विकास है जिस पर वह पहुंच सकता है। ’यह कथन है – कांट का
- व्यवस्था के बच्चा तार्किक रूप से बसपा घटनाओं के विषय में चिंतन प्रारंभ करता है – संवेदी प्रेरक अवस्था
- पाठ्यक्रम होना चाहिए – छात्र केंद्रित
- डिस्लेक्सिया बीमारी संबंधित है – पठन विकार से
- ‘बालक ही ईश्वर है उसका शिक्षालय ही मंदिर है तथा बच्चे की स्वत्व शक्ति ही मंदिर की अधिष्ठात्री देवी है ’ यह कथन है – मांटेसरी
- किस दार्शनिक आधार पर निर्मित पाठ्यक्रम छात्र केंद्रित होता है – शिक्षा दर्शन
- किस दार्शनिक आधार पर निर्मित पाठ्यक्रम अनुभव केंद्रित होता है – प्रयोजनवाद
- हरबर्ट स्पेंसर ने प्रतिपादित किया था – शक्ति आधिक्यता का सिद्धांत
- मानव कोशिका में गुणसूत्र होते हैं – 46
- फ्रोबेल का किंडरगार्टन था – एक लघु समाज
- बालक के व्यवहार के अध्ययन की किस विधि में वास्तविक व्यवहार का निरीक्षण संभव नहीं होता – प्रश्नावली विधि
- एमिली नामक पुस्तक के रचयिता हैं – जॉन जैकब रूसो
- बालक की सामाजिकता का परीक्षण किस विधि द्वारा किया जाता है – समाजमिती विधि
- प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धि लब्धि होती है – 130 से 140 या अधिक
- ‘बाल्यावस्था के प्रशिक्षण का प्रभाव बालक के बाद की व्यवसायिक तक चिताओं पर और समायोजन पर पड़ता है’- प्लेटो
- बालक विकास का सर्व प्रथम वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत किया – पैस्तालॉजी
- ‘‘समाजीकरण की प्रक्रिया बालक के सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।’यह कथन है – हरलॉक का
- ‘बच्चों में बुद्धि का विकास उनके जन्म के साथ जुड़ा हुआ है। ’यह कथन है – जीन पियाजे के सिद्धांत से
- बुद्धि की मात्रा सिद्धांत का प्रतिपादन किया था – थार्नडाइक
- ब्लूम के अनुसार शिक्षा के किस उद्देश्य की प्राप्ति पहले होती है – ज्ञानात्मक
- व्यवहारवाद के जन्मदाता हैं – वाटसन
- ‘विज्ञान अनुसंधान का तरीका है।’यह कथन है ग्रीन का
- किस वैज्ञानिक ने 1908 में सर्वप्रथम मानसिक आयु का विचार प्रस्तुत किया – बिने
- सहसंबंध की क्रमांक विधि के प्रतिपादक हैं – स्पीयरमैन
- ‘वास्तविक शिक्षा का संचालन वास्तविक दर्शन ही कर सकता है। ’यह मत है – स्पेन्सर का
- ‘वंशानुक्रम उन समस्त बातों को अपने में संजोए रहता है जिन्हें बालक गर्भाधान अथवा प्रजाति से प्राप्त करता है । ’यह कथन है – वुडवर्थ का
- ‘वंशानुक्रम बालक की जन्मजात योग्यताओं का कुल योग है। ’यह कथन है – डॉ.बी.एन झा
- ‘व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों की जो विशेषताएं प्राप्त करता है वह वंशक्रम कहलाता है।’यह कथन है – एच ए पेटरसन
- ‘व्यक्ति के आनुवंशिक गठन में निहित आंतरिक शक्तियां उसका वंशानुक्रम कहलाता है।’यह कथन है – मेक कोनल
- ‘बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।’यह कथन है – वुडवर्थ
- ‘बुद्धि ज्ञान का अर्जन करने की क्षमता है।’यह कथन है – वुडरो
- ‘जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से अपना सामंजस्य करने की व्यक्ति की योग्यता ही बुद्धि है।’यह कथन है – पिंटर
- ‘सत्य तट के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि है।’ यह कथन है – थार्नडाइक
- बुद्धि का एक कारक सिद्धांत – बिने
- बुद्धि का इकाई सिद्धांत – स्टर्न एवं जॉनसन
- मनोविश्लेषण संप्रदाय की स्थापना करने का श्रेय है – सिगमंड फ्रायड
- व्यक्तित्व का मनोविश्लेषणवादी विचार दिया है – गेस्टाल्टवादियों नें
- कोहलबर्ग के अनुसार, सही और गलत के प्रश्न के बारे में निर्णय लेने में शामिल चिंतन प्रक्रिया को कहा जाता है – नैतिक तर्कणा
- सबसे अधिक गहन और जटिल सामाजिकरण होता है – किशोरावस्था के दौरान
- जीन पियाजे के अनुसार ,विकास की पहली अवस्था के दौरान बच्चा सबसे बेहतर सीखता है। – इंद्रियों के प्रयोग द्वारा
- कैली नें शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य बताएं हैं – 9
- टर्मन के अनुसार सामान्य बुद्धि लब्धि है – 90 से 110
- ‘मूल प्रवृत्तियां संपूर्ण मानव व्यवहार की चालक है।’ यह कथन है – मैक्डूगल
- The Teachers Health पुस्तक लिखी है – टर्मन ने
- टर्मन के अनुसार प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धि लब्धि होती है – 140 से अधिक
- ब्लूम के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य हैं – 4
- खेल के पूर्व अभिनव सिद्धांत का प्रतिपादन किया था – मालब्रेन्स ने
- पुनर्बलन सिद्धांत के प्रतिपादक हैं – स्किनर
- अधिगम प्रयास एवं भूल का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था – थार्नडाइक
- सूझबूझ द्वारा सीखना सिद्धांत का प्रतिपादन किया था – कोहलर
- ‘वातावरण में 20 समस्त महत्वता जाते हैं जो बालक की जीवन को आरंभ करते समय से ही प्रभावित करते हैं।’ यह कथन है – वुडवर्थ
- द्वि-कारक सिद्धांत – स्पीयरमैन
- बहुकारक सिद्धांत – थार्नडाइक
- प्रतिदर्श सिद्धांत – थॉमसन
- ग्रुप तत्व सिद्धांत – थस्टर्न
- ‘बुद्धि अमूर्त विचारों के संदर्भ में सोचने की योग्यता है।’यह कथन है – एल. एम. टर्म
- संवेग का अर्थ है – उत्तेजना या भावों में उथल-पुथल
- चिन्हों द्वारा सीखना सिद्धांत के प्रतिपादक हैं – टॉलमैन
- बालको के प्रयास की इच्छा जीवित रखिए। कथन है – जेम्स का
- थ्योरीज ऑफ लर्निंग नामक पुस्तक के लेखक हैं – हिलगार्ड
- रूसो ने शिक्षा के तीन मूलभूत स्रोत बनाये हैं, जो हैं – प्रकृति, मनुष्य, वस्तुएँ
- कॉमेनियस के अनुसार बाल्यावस्था की शिक्षा को नाम दिया गया – वर्नाक्यूलर स्कूल
- कॉमेनियस द्वारा रचित पुस्तक – स्कोला ल्यूडस
- खेल-खेल के लिए है। यह वाक्य है – वैलेण्टाइन का
- ‘शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक एवं मनुष्य के शरीर मस्तिष्क एवं आत्मा के सर्वोत्तम अंश की अभिव्यक्ति है।’यह कथन है – महात्मा गांधी
- ‘व्यक्ति के सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया को ही सामाजिकरण कहते हैं।’यह कथन है – श्री न्यूमेर
- ‘बुद्धि अमूर्त विचारों के संदर्भ में सोचने की योग्यता है।’यह कथन है – एल.एम.टर्म
- बाल अवस्था को जीवन का अनोखा काल बताया है। – कोल व ब्रूस ने
- उपचारात्मक विधि उपयोगी है – पिछड़े बालकों के सुधार में
- मनोविज्ञान को आरंभ में कहा जाता था – आत्मा का विज्ञान
- शिक्षण की डाल्टन विधि आरंभ करने का श्रेय है – पार्कहसर्ट
- बुद्धि के इकाई सिद्धांत के प्रतिपादक हैं – स्टर्न व जॉनसन
- बालकों की मुख्य आवश्यकता है उसकी सीखने में उद्योगों का कार्य करती हैं – हरलॉक
- ‘व्यक्ति का जितना भी मानसिक विकास होता है उसका आधा 3 वर्ष की आयु तक हो जाता है।’ यह कथन है – गुडएनएफ
- प्रेरणा के चार स्रोत हैं – आवश्यकताएं, चालक, उद्दीपन व प्रेरक
- ‘प्रेरणा यह निश्चित करती है कि लोग कितनी अच्छी तरह से सीख सकते हैं और कितनी देर तक सीख सकते हैं।’यह कथन है – मरसेल
- सभी बालकों में अनुकरण की प्रवृत्ति पाई जाती है और यह अनुकरण की प्रवृत्ति उन्हें सीखने की ओर प्रेरित करती है – हेगाटी
- क्रिया द्वारा सीखना ध्येय वाक्य है – जॉन जैकब रूसो का
- बच्चे अपने आसपास के संसार से स्वयं सीखते हैं यह वाक्य है – रूसो का
- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना – 1988 में
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की स्थापना हुई थी – 1961 में
- ‘माता-पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का संतान में स्थानांतरण होना वंशानुक्रम है।’यह कथन है – बीएन झा
- अभिप्रेरणा देने वाली चार घटक हैं – उत्तेजना, आकांक्षा ,प्रोत्साहन व दंड
- किस विद्वान ने कहा था कि शिशु का मस्तिष्क कोरी स्लेट होता है – प्लेटो
- शिक्षण की ह्यूरिस्टक विधि के प्रवर्तक हैं – प्रोफेसर आर्मस्ट्रांग
- जेपी वाटसन है – व्यवहारवादी
- जॉन जैकब रूसो हैं – प्रकृतिवादी
- ‘खेल रचनात्मक एवं सृजनात्मक क्रियाओं का योग है।’यह वाक्य है – टी.पी. नन का
- समाजमिति विधि के प्रतिपादक हैं – जे एन मुनरो
- ‘मनोविज्ञान व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।’ यह कथन है – स्किनर
- प्राथमिक स्तर पर सबसे कम प्रभावी विधि है। – अंतदर्शन विधि
- जीवन इतिहास विधि का प्रयोग सर्वप्रथम किया था – टाइडमैन ने
- ‘वातावरण में बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।’यह कथन है – रॉस का
- ‘बीसवीं शताब्दी को बालक की शताब्दी कहा जाता है।’यह कथन है – एडलर का
- बालक का विकास परिणाम है। -वंशानुक्रम एवं वातावरण की अंतः क्रिया का
- प्रोजेक्ट पद्धति का प्रतिपादन किया था – किलपैट्रिक ने
- डाल्टन पद्धति के प्रतिपादक हैं -मिस हिले पार्कहर्सट
- शिक्षा मनोविज्ञान एक शाखा है – मनोविज्ञान की
- ‘उचित समय और स्थान पर प्रयोग किए जाने पर प्रशंसा प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण कारक है। ’ -फ्रेंडसन
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1 thought on “बाल-विकास एवं शिक्षा-शास्त्र के नोट्स|120+ महत्वपूर्ण प्रशनोत्तर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर दोनो के लिए”