NCF – National Curriculum Framework 2005
इस लेख में हम आपको राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा–2005 (NCF–2005) के संक्षिप्त नोट्स लेकर आयें है। शिक्षक भर्ती या शिक्षक पात्रता परीक्षाओं जैसे – CTET,KVS, UGC- NET, UPTET, SUPERTET,REET, BTET आदि सभी में NCF- 2005 से संबंधित प्रश्न हर बार पूछें जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इस लेख को तैयार किया गया है। साथ ही विगत वर्षों में इन परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों और वीडियो को भी शामिल किया गया है। अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ लेते हैं तो आपको राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 से संबंधित सभी प्रश्नों को हल कर लेगें।

National Curriculum Framework-2005 से संबंधित प्रश्नों के आगामी शिक्षक भर्ती एवं टीईटी परीक्षाओं में भी पूछे जाने की पूरी संभावना है। अतः इस आर्टिकल को अन्त तक अवश्य पढ़ें। आशा है यह पोस्ट आपके लिये बहुत ही उपयोगी साबित होगी आने वाली परीक्षाओं के लिए आप सभी अभ्यर्थियों लिए बहुत- बहुत शुभकामनाएं!
NCF-2005 क्या है ? (What is ncf-2005)
बच्चों को क्या, क्यों और कैसे पढ़ाया जाये ? इसी पर आधारित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 एक वृहद दस्तावेज है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 (National Curriculum Framework-2005) का आरंभ रवीन्द्रनाथ टैगोर के निबंध “सभ्यता और प्रगति” से होता है। इसमें कहा गया है कि सृजनात्मकता और उदार आनंद बचपन की कुंजी है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 का अनुवाद संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गयी 22 भाषाओं में किया गया है। और 17 राज्यों के पाठ्यक्रम में लागू किया गया है।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 (National Curriculum Framework – 2005) को चतुर्थ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इससे पूर्व इसके तीन संस्करण – NCF 1975, NCF 1988 और NCF 2000 प्रकाशित किये जा चुके हैं।
NCF-2005 के मार्गदर्शी सिद्धांत (Principles of ncf-2005)
NCF-2005 के पाँच मार्गदर्शी सिद्धांत हैं-
- ज्ञान को स्कूल के बाहर के जीवन से जोड़ना।
- पढ़ाई रटंत प्रणाली से मुक्त हो यह सुनिश्चित करना।
- पाठ्यचर्या का इस प्रकार से संवर्धन कि वह बच्चों के चहुमुखी विकास के अवसर उपलब्ध कराये बजाए कि पाठ्यपुस्तक-केन्द्रित बन कर रह जाये।
- परीक्षा को अपेक्षाकृत अधिक लचीला और गतिविधियों से जोड़ना।
- एक ऐसी अवधभावी पहचान का विकास जिसमें प्रजातांत्रिक राज्यव्यवस्था के अन्तर्गत राष्ट्रीय चिताएँ समाहित हो।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के प्रमुख बिन्दु
- एनसीएफ 2000 की समीक्षा करने के लिए प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और इक्कीस फोकस समूहों का गठन किया गया। इन्हीं के विचार-विमर्श और सुझावों पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 (NCF-2005) का विकास हुआ। जिसका मुख्य उद्देश्य था – शिक्षा बिना बोझ के।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या दस्तावेज इस बात की सिफारिश करता है कि विषयों के बीच की दीवारों को कम किया जाए ताकि बच्चों को समग्र ज्ञान का आनंद मिल सके ।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के चार क्षेत्रों – भाषा, गणित, विज्ञान और समाज विज्ञान में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का सुझाव दिया गया है।
- भाषा में त्रिभाषा फार्मूले को फिर से लागू करने के प्रयास का सुझाव दिया गया है। जिसमें आदिवासी भाषाओं सहित बच्चों की मातृभाषाओं को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्वीकृति देने पर जोर है।
- गणित की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे बच्चे के वे संसाधन समृद्ध हों जो चिंतन और तर्क में , अमूर्तन की संकल्पना करने और उनका व्यवहार करने में , समस्याओं के सूत्रबद्ध करने और समस्याओं को सुलझाने में उनकी साहयता करे।
- विज्ञान के शिक्षण में इस प्रकार की तब्दीली की जानी चाहिए कि यह हर बच्चे को अपने रोज के अनुभवों को जाँचने और उनका विश्लेषण करने में सक्षम बनाया जाये।
- सामाजिक विज्ञान में जेंडर न्याय , अनुसूचित जाति और जनजाति को लेकर जागरूकता तथा अल्पसंख्यक संवेदनशीलता के प्रति सजगता होनी चाहिए।
- पाठ्यचर्या का दस्तावेज चार पाठ्यचर्या क्षेत्रों की तरफ ध्यान आकर्षित करता है – काम, कला और पारंपरिक दस्तकारियाँ, स्वास्थ्य तथा शारिरिक शिक्षा,एवं शांति।
- हर स्तर पर विषय के रूप में कला को जगह देने की सिफारिश की गयी है, जिसमें गायन, नृत्य, दृश्य कलाएँ और नाटक चारो पहलू शामिल हैं।
- स्कूल में बच्चों की कामयाबी पोषण और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करती है । इसलिए मध्यान्ह भोजन (MDM) जैसी योजनाओं पर बल दिए जाने की जरूरत है ।
- गुणवत्ता के स्तर को ऊपर उठाने के लिए सामुदायिक भागीदारी और स्कूली स्तर पर खंड और संकुल स्तर पर भूमिकाओं का विभाजन आवश्यक है ।
“शिक्षा को मुक्त करने वाली प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए, शिक्षा की प्रक्रिया को सभी तरह से शोषण और अन्याय गरीबी, लिंग, लिंगभेद जाति से मुक्त होना पड़ेगा जो हमारे बच्चों को इस प्रक्रिया से वंचित करते हैं। ” – राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005
NCF-2005 के अंग|भाग

NCF के पाँच अंग या भाग है –
- परिप्रेक्ष्य
- सीखना और ज्ञान
- पाठ्यचर्या के क्षेत्र , स्कूल की अवस्थाएँ और आकलन
- विद्यालय व कक्षा का वातावरण
- व्यवस्थागत सुधार
परिप्रेक्ष्य
NCF के इस भाग में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और इसके मार्गदर्शी सिद्धांत , शिक्षा का सामाजिक संदर्भ ,शिक्षा के लक्ष्य और गुणवत्ता के आयामों को समाहित किया गया है।
सीखना और ज्ञान
NCF के इस भाग में ज्ञान सृजन के लिए अध्यापन , अन्त:क्रिया का मूल्य , शैक्षिक अनुभवों की रूपरेखा बनाना , नियोजन के उपागम , विकास और सीखना , बुनियादी क्षमताएं , बच्चों का ज्ञान और स्थानीय ज्ञान , स्कूली ज्ञान और समुदाय आदि को समाहित किया गया है।
पाठ्यचर्या के क्षेत्र ,स्कूल की अवस्थाएँ और आकलन
NCF के इस भाग में भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला शिक्षा, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा , काम और शिक्षा, शांति के लिए शिक्षा , अध्ययन और आकलन की योजनायें, आकलन और मूल्यांकन आदि को समाहित किया गया है।
विद्यालय व कक्षा का वातावरण
NCF के इस भाग में भौतिक वातावरण, सभी बच्चों की भागीदारी, अनुशासन और सहभागी प्रबंधन , अभिभावक व समुदाय और शिक्षक की स्वतंत्रता आदि को समाहित किया गया है।
व्यवस्थागत सुधार
NCF के इस भाग में गुणवत्ता को सरोकार, परीक्षा सुधार, आकलन में लचीलापन , व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण, नवाचार, तकनीकी का प्रयोग, पुस्तकों की बहुलता आदि को सम्मिलित किया गया है।
“यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर तथा प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में इसका निर्माण किया गया ज्ञान को केवल किताबी ज्ञान से ही नहीं बल्कि बाहरी जीवन से जोड़ा जाए,इसके अलावा विद्यार्थियों को रटन्तप्रणाली से मुक्त किया जाए, पाठ्य पुस्तक पर आधारित शिक्षा नहीं हो, इसके अलावा शिक्षा राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थियों को तैयार करती हो। ” – राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005
NCF-2005 के सुझाव|NCF-2005 की विशेषताएं
- शिक्षा को व्यवहारिक ज्ञान से जोड़ा जाये। सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही छात्रों को सीमित न रखा जाये।
- छात्रों को शिक्षा उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में दी जाये।
- शिक्षा को रटंत प्रणाली से मुक्त कर रोचक बनाया जाये जिससे बच्चों को शिक्षा बोझ की तरह न लगे।
- परीक्षा व आकलन को लचीला बनाया जाये।
- शिक्षा में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जाये।
- बच्चों को भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान के साथ-साथ कला जैसे – संगीत, नृत्य, गायन, वादन आदि से भी जोड़ा जाये।
NCF-2005 के उद्देश्य
NCF-2005 का मुख्य उद्देश्य पढ़ाई को अधिक व्यवहारिक, रूचिकर, बोझ रहित बनाने का प्रयास करना है। जिससे बच्चों का चहुंमुखी विकास हो सके। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 का प्रयास है कि पढ़ाई की गुणवत्ता में वृद्धि हो। बच्चा सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे बल्कि वह अपने आस पास हो रहे परिवर्तनों से भी सीखे। भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान के साथ साथ बच्चों में कलात्मक विकास भी हो। भविष्य में ऐसे छात्र का निर्माण हो भारतीय प्रजातांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय चिंताओं जैसे संवेदनशील मुद्दों केस प्रति भी जागरूक हो।
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NCF-2005 का निष्कर्ष
NCF-2005 से पूर्व तीन अन्य NCF क्रमशः NCF-1975, NCF-1988, NCF-2000 जारी हुये। किंतु NCF-2005 का निर्माण शिक्षा बिना बोझ के (Education Without Burden) को आधार मानते हुए किया गया है। बच्चों को आस-पास के वातावरण से जोड़़कर उनकी मातृभाषा में रूचि पूर्ण शिक्षा का प्रयास करना है। जिससे बच्चा आसानी से सीख सके और वह समाज से जुड़ सके। इसी को ध्यान में रखते हुए NCF-2005 में सामुदायिक सहभागिता, लचीली परीक्षा प्रणाली, व्यवहारिक ज्ञान, कलात्मक ज्ञान आदि पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर NCF-2005 का उद्देश्य बच्चों का चहुंमुखी विकास करना है।
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NCF 2005 से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1- NCF- 2005 की फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर- NCF-2005 की फुल फॉर्म National Curriculum Frmework-2005 है। हिंदी में इसे राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 भी कहा जाता है।
प्रश्न 2- NCF 2005 के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर- NCF- 2000 की समीक्षा करने के लिए प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और इक्कीस फोकस समूहों का गठन किया गया। इन्हीं के विचार-विमर्श और सुझावों पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 (NCF-2005) का विकास हुआ।
प्रश्न 3 – भारत में कितने एनसीएफ हैं?
उत्तर – एनसीईआरटी ने कुल चार NCF प्रकाशित किये है। NCF-1975 , NCF-1988, NCF-2000, NCF-2005.
प्रश्न 4 – एनसीएफ में कुल कितने अध्याय हैं?
उत्तर – NCF-2005 में कुल 5 अध्याय हैं। 1. परिप्रेक्ष्य, 2.सीखना और ज्ञान,3. पाठ्यचर्या के क्षेत्र, स्कूल की अवस्थाएँ और आकलन, 4. विद्यालय व कक्षा का वातावरण, 5. व्यवस्थागत सुधार
प्रश्न 5- NCF 2005 का अनुवाद कितनी भाषाओं में किया गया है?
उत्तर: NCF – 2005 का अनुवाद भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लखित 22 भाषाओं में किया गया है। और इसने 17 राज्यों के पाठ्यक्रम को प्रभावित किया है।
Abhyas Classes के माध्यम से हम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की मदद करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। हमें यह पूर्ण विश्वास भी है, कि धन, समय और दूरी जैसी अनेक बाधाओं को समाप्त कर, गुणवत्ता वाली इस अध्ययन प्रणाली के द्वारा हम सभी उम्मीदवारों की भरसक सहायता कर सकें। आशा है कि इस लेख से आप सभी को मदद मिलेगी। शुभकामनाएं!
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Bhut badiya